माँ आज फिर तुम्हारी याद आ रही है !!
चलो आज फिर से घर की ओर चला जाये !!
बेफ़िक्र होके सोया जाये माँ के आँचल में !
दिल खोल के बात किया जाये माँ से ,बैठ के उनकी गोद में !
सारे दुःख दर्द , जैसे बाटाँ करते थे बचपन में !
शिकायते दोस्तों की, गिले शिकवे माँ से ,फिर से आज बाटाँ जाये !!
चलो आज फिर से घर की ओर चला जाये !!
© आशुतोष त्रिपाठी
चलो आज फिर से घर की ओर चला जाये !!
बेफ़िक्र होके सोया जाये माँ के आँचल में !
दिल खोल के बात किया जाये माँ से ,बैठ के उनकी गोद में !
सारे दुःख दर्द , जैसे बाटाँ करते थे बचपन में !
शिकायते दोस्तों की, गिले शिकवे माँ से ,फिर से आज बाटाँ जाये !!
चलो आज फिर से घर की ओर चला जाये !!
© आशुतोष त्रिपाठी
No comments:
Post a Comment