Thursday, July 11, 2013

बदल रहा हूँ मैं

सोचा था कभी बदलेंगे ज़माने को एक दिन … !!
ज़माने के संग खुद को अब बदल रहा हूँ मैं …  !!
समझाता हूँ दिल को कि ‘दुनिया है बड़ी ज़ालिम !! 
सबक जिंदगी का ज़माने से अब पढ़ रहा हूँ मैं…. !!
खुद से ही रोज़-रोज़ अब लड़ रहा हूँ मैं … !!

© आशुतोष त्रिपाठी

Tuesday, July 9, 2013

यूँ नहीं की ….

 यूँ नहीं की तुम्हारे ना होने में तुम्हारा ऐहसास नहीं  है  !!
दूर चमकता चाँद … तुम्हारे मुखड़े का प्रतिबिंब  है !!
छत की बारी से लटकती बारिश की बूंदे जैसे तुम्हारे कानों की बालियाँ हैं !!
हवा में झूमते लहलहाते ब्रीक्ष यू जैसे तुम्हारी चंचलता की निशानी है   !!
यूँ नहीं की तुम बस एक कहानी हो !!

© आशुतोष त्रिपाठी