Sunday, September 12, 2010

सड़क पर चलते हुए....... !!!!!

आज फिर कूड़े के ढेर में खेलते हुए उन बच्चो को देखा है.......!!!
कूड़े के टुकडो में, उनके टूटते बिखरते सपनो को देखा है...!!!
हर बार ,इन्हें देख के लगता है कि, क्या बनेगा इनमे से कोई "कलाम" ??
या जीवन भर ,रहेंगे ये गुलाम ,भूख ,गरीबी और बेशहायी के....!!!
हर बार इन्हें देख के सोचता हूँ, कुछ मदद करू मैं इनकी...!!!
फिर भागती दुनिया के रफ़्तार से डर जाता हूँ मैं...!!!
डर जाता हूँ... पीछे छुटने से , और , सोचता हूँ....
आखिर मैं ही क्यों????
और शामिल हो जाता हूँ मैं भी इस बेदर्द दुनिया के रफ़्तार में ...!!!
और फिर कही किसी कूड़े के ढेर में रह जाता है एक "कलाम" हमेशा हमेशा के लिए.......
यु ही लाचार बेशहारा.......... यु ही लाचार बेशहारा !!!!

© आशुतोष त्रिपाठी