Tuesday, July 9, 2013

यूँ नहीं की ….

 यूँ नहीं की तुम्हारे ना होने में तुम्हारा ऐहसास नहीं  है  !!
दूर चमकता चाँद … तुम्हारे मुखड़े का प्रतिबिंब  है !!
छत की बारी से लटकती बारिश की बूंदे जैसे तुम्हारे कानों की बालियाँ हैं !!
हवा में झूमते लहलहाते ब्रीक्ष यू जैसे तुम्हारी चंचलता की निशानी है   !!
यूँ नहीं की तुम बस एक कहानी हो !!

© आशुतोष त्रिपाठी

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